सत्ता के वनवास से शिवराज की वापसी:नया सवेरा...नई उम्मीद...
मर्यादा पुरुषोत्तम राम कि 14 वर्ष के वनवास के बाद घर वापसी हो सकी थी। मध्यप्रदेश के विकास पुरूष को भी लगभग 14 माह के वनवास के बाद पुनः सत्ता का सुख प्राप्त हो गया है।2018 में हार के बाद उन्हें प्रदेश के परिदृश्य से ओझल करने के हरसंभव प्रयास किये गए।मगर मामा बने रहे और भोपाल को ही केंद्र बिंदु बनाये रखा।नतीजतन वे भाजपा की हर बड़ी मुहिम का हिस्सा बनते गये।ऑपरेशन लोटस जब परवान चढ़ा तो सीएम पद पाने के लिए भी कई लोगो ने कुर्सी पर गिद्ध दृष्टि जमाई किंतु प्रदेश की जनता के बीच गहरी पैठ व वर्तमान कोरोना हालात से जूझने जज्बा शायद किसी और में नही आया होगा।लिहाजा प्रदेश में फिर भाजपा के साथ...फिर चौहान की वापसी हो गई है।शिवराज सिंह चौहान राजनीति के मंझे हुवे खिलाड़ी है। पांच बार सांसद,पांच बार विधायक और चौथी बार मुख्यमंत्री इन उपलब्धियों के अलावा भी पता नही किन-किन पदों पर संगठन को वे सेवा दे चुके है।शायद यही वजह है कि जनता जनार्दन के लाड़ले नेता को केंद्रीय नेतृत्व भी दरकिनार नही कर पाया।अगर इस समय प्रदेश में कोरोना कहर नही होता तो मामा की वापसी का जश्न देखने लायक होता।नई पारी कि शुरुवात के पहले ही दिन उन्होंने स्प्ष्ट संकेत दिए कि इस बार शासन करने की कार्यशैली में बदलाव नजर आएगा।यह बेहद जरूरी भी है।सनद रहे कि 2018 की हार का ठीकरा भी उन्हीं के सिर फूटा था।माई के लाल व टिकिट वितरण में मनमानी का दंश भी उन्हें झेलना पड़ा।खैर अब नया सवेरा हो चुका है।नई उम्मीदों के साथ प्रदेश शिवराज की बांट जोह रहा है।
*सत्यनारायण शर्मा
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