आगर उपचुनाव: फिर नये चेहरे पर दांव खेलेगी भाजपा या पुरानो पर जताया जाएगा भरोसा
आगर मालवा-आगर विधायक मनोहर ऊँटवाल के निधन से रिक्त हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव में विधायक बनने वालो की फेहरिस्त बढ़ती ही जा रही है। भाजपा से दावेदार की सूची एक अनार सौ बीमार वाली कहावत को अक्षरस: चरितार्थ कर रही है।भाजपा से एक दर्जन उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ धूप कर रहे हैं। प्रदेश में जोरा विधानसभा के साथ ही आगर विधानसभा उपचुनाव होने कि संभावना को बल मिलते ही दावेदार सक्रिय हो गये है। सनद रहे कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में भाजपा को अपने गढ़ को बचाने के लिए खासी मशक्कत करना पड़ेगी।वही दावेदारों के समीकरण भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर नवीन ताजपोशी से गड़बड़ा गये है।
लंबे समय से आगर सीट पर भाजपा का कब्जा है। मनोहर ऊँटवाल के विधायक चुने जाने के पूर्व यहां से लालजी राम मालवीय रेखा रत्नाकर, मनोहर ऊँटवाल व गोपाल परमार भाजपा से विधायक रहे हैं। मनोहर ऊँटवाल दूसरी बार विधायक चुने गये थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में काफ़ी मुश्किल का सामना करते हुवे बेहद मामूली अंतर से जीत पाये थे।जबकि 2014 में उन्होंने शिवराज जी की दो सौगात आगर जिला और मंत्री ऊँटवाल के प्रचार से बड़ी जीत हासिल की थी।वे बाद में लोकसभा के लिए प्रत्याशी चुने गए और आगर में उपचुनाव में गोपाल परमार विजय रहे।इस बार भी भाजपा से टिकिट चाहने वालो की फेहरिस्त काफी लंबी है। प्रदेश भाजपा का सुप्रीमो बदलने से कई दावेदारों लॉबिंग बेपटरी हो गई है। खजुराहो सांसद वीडी शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने से पार्टी में अब समीकरण बदल गए हैं। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से जिन नेताओं ने पटरी आगर विधानसभा को लेकर बिठाई थी। मगर अब उन्हें नए सिरे से बात बनाना पड़ेगी।
अबकी बार फिर गोपाल परमार
उपचुनाव जीत कर विधायक रहते गोपाल परमार ने विकास कार्यो पर खास ध्यान दिया।अपनी दबंग शैली के कारण चर्चित रहने वाले परमार 1993 में भी विधायक रह चुके है। 2014 के उप चुनाव में वे भारी मतों से जीते थे। स्व.विधायक मनोहर ऊँटवाल उस वक्त लोकसभा के लिए चुने गए थे।लिहाजा उपचुनाव में परमार प्रत्याशी बनाये गये।जातिगत समीकरण को साधने के लिए संगठन एक बार फिर उन पर भरोसा जता सकता है। सोशल मीडिया पर अबकी बार उपचुनाव में फिर गोपाल परमार से समर्थक माहौल बना रहे है।
फिर आने लगी है दीदी की आवाज
देवास शाजापुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे स्व.भूरेलाल फिरोजिया की पुत्री रेखा रत्नाकर यहा से एक बार विधायक रह चुकी है। इनके भाई अनिल फिरोजिया उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में सांसद है।फिरोजिया तराना से खुद भी विधायक रह चुके है।संगठन उन पुनः भरोसा जता सकता है।उनके समर्थक पिछले दो चुनाव से दीदी को विधानसभा भेजने के लिए लॉबिंग करते आ रहे है।
सरल व सहज लालजीराम भी दौड़ में
पूर्व विधायक लालजीराम मालवीय के समर्थक भी खासे सक्रिय है। मालवीय भजनों के गायन से वे ग्रमीण क्षेत्र में खासी पेठ रखते है।मालवीय के राजनीति का लंबा तजुर्बा है। वे पंच, सरपंच,जनपद सदस्य,जिला पंचायत सदस्य के चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुचे थे। वे केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के करीबी माने जाते है। श्री मालवीय ने विधायक रहते सम्मान समाहरो की शुरुवात की थी।जो उनके निवर्तमान होते ही खत्म हो गई।
सहानुभूति की लहर बंटी ऊँटवाल
दिवंगत मनोहर ऊँटवाल के पुत्र बंटी ऊँटवाल का नाम भी क्षेत्र में जोरों पर चर्चाओं में है। बंटी ऊँटवाल युवा है और इनके पिता मनोहर ऊँटवाल लम्बे समय तक भाजपा प्रदेश महामंत्री, सांसद विधायक रहे है। यदि बंटी ऊँटवाल को मौका दिया जाता है तो संगठन का साथ और सहानुभूति दोनों मिल सकती। वैसे भी राजनैतीक दलों में दिवंगत नेताओ के परिजनों को मौका देने की परिपाटी रही है।
क्या मनोहर की जगह मनोहर को मिलेगा मौका
भाजपा अब तक नए चेहरों पर दांव लगाती आई है।2003 से लगातार नये लोगो को आजमाया गया।ऐसे में इस बार भी किसी नये व्यक्ति को प्रत्याशी बनाकर भाजपा चौका सकती है। ऐसा ही नाम है मनोहर चौहान। उच्च शिक्षित श्री चौहान संघ से जुड़े है।वे पिछले 3 विधानसभा से टिकिट की मांग कर रहे है।कहा तो यहा जाता है कि 2014 के उपचुनाव में उनके नाम पर मोहर लग गई थी मगर अंतिम दौर में उनका नाम हटा दिया गया। तो क्या इस बार मनोहर की जगह मनोहर को मौका मिलेगा?
गोपाल वर्मा और ओम मालवीय
देवास शाजापुर संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे फूलचंद वर्मा के पुत्र गोपाल वर्मा भी पिछले दो विधानसभा चुनाव से टिकिट की मांग कर रहे है।उनके भाई राजेन्द्र वर्मा सोनकच्छ से विधायक रह चुके है। वे नगर सभी प्रमुख आयोजनों में शिरकत करते नजर आते है। भाजयुमो के ओम मालवीय भी गत विधानसभा व उपचुनाव से ही दावेदारो की दौड़ में शामिल है। सोशल मीडिया पर ओम मालवीय को प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर खूब सारी पोस्ट की जा रही है।
सतीश मालवीय के नाम की भी चर्चा
उज्जैन के घट्टिया विधानसभा से विधायक रहे सतीश मालवीय मौजूदा केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के बेहद करीबी हैं। तेजतर्रार छवि वाले पूर्व विधायक सतीश मालवीय को आगर विधानसभा से टिकट दिए जाने की पहल केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय गुट के माध्यम से की जा सकती है।सतीश मालवीय जीते हुए उम्मीदवार रहे है और इनका टिकिट काट कर प्रेमचन्द गुड्डु के पुत्र अजित बोरासी को दिया गया था।
जटिया भी अपने राकुमार के लिए सक्रिय
1977 मे आगर से विधायक बनने वाले सत्यनारायण जटिया का संपर्क अभी क्षेत्र के लोगो से है। आगर विधानसभा क्षेत्र राजनीति की शुरूवार करने वाले जटिया बाद में उज्जैन से लंबे समय तक सांसद रहे। वे केंद्र में मंत्री रहे और उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र से सांसद होते हुए आगर विधानसभा से भी संपर्क बनाए रखा। अब यह चर्चा जोरों पर है कि सत्यनारायण जटिया अपने पुत्र राजकुमार जटिया को यहां से विधानसभा का टिकट दिलाए जाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
पूर्व सांसद चिन्तामन मालवीय भी है दावेदार
उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे डॉ. चिंतामन मालवीय वर्तमान में भाजप के प्रदेश प्रवक्ता है। उच्च शिक्षित डॉ मालवीय प्रदेश से लेकर केंद्र में सभी वरिष्ठ नेताओं से सीधे संपर्क में है। जिसका फायदा उन्हें आगर विधानसभा सीट से टिकट लाने में मिल सकता है। पूर्व सासंद चिंतामन मालवीय अपनी बेबाक शैली के लिए जाने जाते है।
नया नाम मनोज परमार
आगर विधानसभा क्षेत्र से मनोज परमार का नाम भी फेसबुक पर छाया हुवा है।गत दिनों तनोडिया में परमार द्वारा समाजिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।पिछले कुछ दिनों से फेसबुक पर आगर क्षेत्र के लोगो को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है।