त्रेतायुग के राम-रावण युद्ध का स्मरण कराएगा कालवा बालाजी  मंदिर


सुसनेर। क्षेत्र के प्रसिद्ध कालवा बालाजी हुनमान मंदिर परिसर में हनुमानजी के आराध्य प्रभु श्री राम के मंदिर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। वह भी मंदिर की दानपेटी में आने वाली राशि व श्रद्धालुओं के जनसहयोग से। खास बात यह है कि त्रेतायुग के रामायण काल में राम-रावण युद्ध के लिए देवराज इंद्र द्वारा भगवान राम के लिए भेजे गए रथ की तर्ज पर इस मंदिर को बनाया जा रहा है। जिसमें आगे पांच घोडे बनाए गए है तो वही पूरे मंदिर को रथ का आकार दिया गया है। जिसमें चार बडे-बडे पहीये बनाए गए है। करीब 60 लाख रूपये की राशि से बनने वाले इस इंद्र रथ राम मंदिर का निर्माण विगत चार साल सालो से चल रहा है। दान पेटी में जितनी राशि आती है। तथा जो जनसहयोग मिल रहा है उस राशि से वर्ष 2021 में इस मंदिर का निर्माण कार्य पुरा किया जाएगा। और उसके बाद इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित करके मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमानजी के साथ ही सारथी के रूप में माथली की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। 
यहां आने वाले श्रद्धालुओं को होगा त्रेतायुग का स्मरण
कालवा बालाजी मंदिर के व्यवस्थापक दिनेश जैन के अनुसार इस मंदिर का निर्माण त्रेतायुग के इंदरथ की तर्ज पर किया जा रहा है। जब भगवान नंगे पेर रावण से युद्ध कर रहे थे। तब इंद्रदेव ने यह रथ रामजी के पास भेजा था। और इस रथ में सवार होकर भगवान राम ने बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजयी प्राप्त की थी। यहा आने वाले श्रद्धालुओं को यह मंदिर त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के जीवन का स्मरण कराएगा। जिनका पूरा जीवन मानव के लिए प्ररेणादायी रहा है। 
2021 में होगी प्राण प्रतिष्ठा, जयपुर से मंगाई जाएगी राम दरबार की प्रतिमाएं
व्यवस्थापक दिनेश जैन ने बताया कि दान पेटी व जनसहयोग की 60 लाख रूपये की राशि से इस मंदिर का निर्माण पिछले चार सालो से किया जा रहा है। अभी इसमें वेदी निर्माण, घोडे व शिखिर का निर्माण किया जा रहा है। उसके बाद दोनो तरफ कांच लगाए जाना है। एक-एक द्वारपाल बनाए जाएंगे। उसके बाद रंग-रोगन किया जाकर इसे 2021 तक तैयार किया जाएगा। उसके बाद प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित करके 5 फीट ऊंची संगमरमर की श्रीराम, लक्ष्मण, सीताजी और हनुमानजी की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। रथ के बाहर सारथी की प्रतिमा भी लगाई जाएगी। ये सारी प्रतिमाएं जयपूर से मंगवाई जाएगी। इस मंदिर को इंद्ररथ राम मंदिर का नाम दिया गया है। 


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